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Nagaur देश के 24 जैन मंदिरों में दिखेगी 'रसाल' गांव के मूर्तिकारों की 'कला'

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नागौर न्यूज़ डेस्क, कुचामन शहर से महज 15 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव रसाल। जिसने मूर्तिकला गांव के नाम से अपनी पहचान बना ली। इस गांव की मूर्तियां करीब 70 साल से भी ज्यादा पुरानी बताई। यह गांव मूर्ति कला के नाम से पूरे देशभर में पहचाना जाने लगा। इस गांव के मूर्तिकारों के हाथों से निर्मित मूर्तियों ने राजस्थान प्रदेश में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के कई राज्यों में अपनी पहचान कायम कर ली। इसी का परिणाम कि अब यहां मूर्तिकारों को बड़े-बड़े ऑर्डर मिल रहे। यहां के मूर्तिकारों के हाथों में ऐसी कला कि किसी भी पत्थर को तराशकर भगवान के दर्शन करा रहे।

रसाल गांव में मूर्ति बनाने के कई बड़े-बड़े कारखाने बन गए। इसके साथ ही कई घरों में भी मूर्तियां बनाने का कार्य हो रहा। मूर्तिकला से जुड़े लोगों की माने तो वैसे रसाल में खेती के अलावा और कोई बड़ा व्यावसाय व उद्योग नहीं, लेकिन मूर्तिकला के कार्य में महारथ हासिल करने से यहां करीब 150 से ज्यादा लोग मूर्तिकला कार्य से जुड़ रहे। कई घरों में महिलाएं भी पुरुषों के साथ मूर्ति बनाने में सहयोग कर रही। रसाल के मूर्तिकारों में सरकार से सहयोग नहीं मिलने का दर्द भी दिखा। मूर्तिकारों ने बताया कि यहां के मूर्तिकारों ने राजस्थान राज्य में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश में पहचान दी। गांव के मूर्तिकार छिगनलाल मेघवाल व मदनलाल मेघवाल ने बताया कि रसाल गांव में बिजली कटौती सबसे बड़ी समस्या बन गई। मूर्तिकला कार्य में नियमित बिजली आपूर्ति की व्यवस्था रहनी चाहिए, लेकिन दिनभर बार-बार बिजली कटौती होने से मूर्तिकला का कार्य बाधित हो रहा।

गांव में कभी भी बिना सूचना बिजली आपूर्ति बंद कर रहे जो रुकना चाहिए। मूर्तिकारों ने यह भी बताया कि रसाल गांव में घर-घर में कोई न कोई सदस्य मूर्तिकला कार्य से जुड़ गया। गांव में चिकित्सा शिविर का आयोजन होना चाहिए, जिससे सिलिकोसिस बीमारी से ग्रस्त लोगों को मदद मिल सके। सरकार भी इन्हें आर्थिक मदद दें।

जैन मन्दिरों में दिखेगी मूर्तियां

मूर्तिकार मदनलाल मेघवाल व छीगनलाल मेघवाल ने बताया कि रसाल गांव में वैसे तो सभी देवी-देवताओं, महापुरुषों, वीर सैनानियों, क्रांतिकारी सैनानियों, संत-महात्माओं की मूर्तियां बनाई जाती है। कई मूर्तिकार तो फोटो को देखकर हूबहू मूर्ति बनाते हैं। यहां पर करीब 21 से 41 फीट की जैन मन्दिरों में स्थापित करने के लिए मूर्तियां बनाई जा रही है। झारखण्ड, बिहार, मध्यप्रदेश, कोहलापुर, कर्नाटक, मुम्बई सहित कई बड़े-बड़े राज्यों के बड़े जैन मन्दिरों में यहां बनने वाली मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। मूर्तिकार मदनलाल ने बताया कि एक मूर्ति को बनाने में 4 से 5 माह लग जाते हैं।

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