बंदरों के खौफ के चलते अब लोग छत पर जाने से डरने लगे है। वहीं बच्चों की कदमताल से गुलजार रहने वाली गालियां आवारा श्वान के डर से सन्नाटें में रहती है। इन दोनों के शिकार होकर जिला अस्पताल में लोग चिकित्सकों को दिखाने पहुंच रहे है। बंदर और श्वान के हमले की घटनाएं पहले से अधिक बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी पर वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने से लोग जिला अस्पताल पहुंच रहे है। अस्पताल में प्रतिदिन छह से सात रैबीज की वाइल लोगों के लग रही है। एक वाइल में दस लोगों को वैक्सीन लगती है। गुरवार को एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने के साथ ही ओपीडी के पर्चे के लिए लाइन लग रही थी। जिला अस्पताल में पहले एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने के लिए प्रतिदिन 35 मरीज पहुंचते थे। अब यह संख्या 60 तक पहुंच गई है। वहीं, ओपीडी में परामर्श लेने के लिए भी लाइन लगी हुई थी। यहां ओपीडी का पर्चा बनवाने के लिए सुबह से ही लाइन लगी रही। ओपीडी के चिकित्सकों ने बताया कि पहले से अब बंदर और लावारिस श्वान के कटने के मरीजों की संख्या बढ़ी है। सभी को वैक्सीन के साथ घर से निकलते समय बचाव करने का सुझाव भी दिया जा रहा है।
सीएचसी-पीएचसी पर नहीं लग रही वैक्सीन
ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इन दिनों रैबीज वैक्सीन नहीं होने से बंदर और आवारा श्वान के शिकार हुए लोगों को जिला अस्पताल तक आना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध है।
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