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Jaipur भारतीय खिलौनों की बढ़ती मांग, बस मेड इन इंडिया, चाइनीज से तौबा

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर    राजधानी जयपुर के बाजारों से चाइनीज खिलौने धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। अब ग्राहक दुकानों पर आते ही पूछते हैं कि खिलौना मेड इन इंडिया है या चाइनीज। हालांकि, भारतीय खिलौने चाइनीज खिलौनों की तुलना में 10 से 15 फीसदी महंगे हैं, लेकिन उनकी मजबूती और टिकाऊ होने के कारण परिजन इन्हें ही प्राथमिकता दे रहे हैं।जयपुर में खिलौनों की आपूर्ति दिल्ली, मुंबई, सूरत, पुणे और कोलकाता से हो रही है। खिलौना कारोबारियों का मानना है कि यदि राजस्थान में खिलौनों का उत्पादन शुरू हो जाए, तो लागत कम हो जाएगी। वर्तमान में केवल अलवर सहित चुनिंदा शहरों में ही खिलौने बनाए जा रहे हैं।

भारत के बाजार में पहले 90 प्रतिशत से ज्यादा चाइनीज खिलौने आते थे, लेकिन अब स्वदेशी खिलौनों की मांग तेजी से बढ़ी है।

पिछले तीन वर्षों में खिलौनों का आयात 70 फीसदी कम हुआ है।

एक सर्वे के अनुसार, भारत अभी 1.5 अरब डॉलर के खिलौने बनाता है। यह आंकड़ा वर्ष 2028 तक 3.3 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

पहले देश में निर्मित खिलौने चाइनीज खिलौनों की तुलना में 40 से 45 फीसदी अधिक महंगे थे, अब कीमतों में अंतर केवल 10 से 15 फीसदी ही रह गया है।

गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे भारतीय खिलौनों की मांग बढ़ी है।

भारत में खिलौना बनाने वाली छह हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि जैसे-जैसे खिलौनों का उत्पादन बढ़ेगा, कीमतें कम होंगी।

अब परिजन चाइनीज खिलौनों के लिए नहीं बोलते हैं। मार्केट से चाइनीज खिलौने गायब हो रहे हैं। जयपुर का बाजार दिल्ली, कोलकाता और पुणे के खिलौनों से गुलजार है। 

पिछले एक-दो वर्षों में भारतीय खिलौनों में तेजी से बदलाव आया है। गुणवत्ता में सुधार हुआ है और ये बजट में भी आ रहे हैं। यही वजह है कि चाइनीज खिलौने बाजार से गायब हो गए हैं।

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