भारत के बाजार में पहले 90 प्रतिशत से ज्यादा चाइनीज खिलौने आते थे, लेकिन अब स्वदेशी खिलौनों की मांग तेजी से बढ़ी है।
पिछले तीन वर्षों में खिलौनों का आयात 70 फीसदी कम हुआ है।
एक सर्वे के अनुसार, भारत अभी 1.5 अरब डॉलर के खिलौने बनाता है। यह आंकड़ा वर्ष 2028 तक 3.3 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
पहले देश में निर्मित खिलौने चाइनीज खिलौनों की तुलना में 40 से 45 फीसदी अधिक महंगे थे, अब कीमतों में अंतर केवल 10 से 15 फीसदी ही रह गया है।
गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, जिससे भारतीय खिलौनों की मांग बढ़ी है।
भारत में खिलौना बनाने वाली छह हजार से अधिक फैक्ट्रियां हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि जैसे-जैसे खिलौनों का उत्पादन बढ़ेगा, कीमतें कम होंगी।
अब परिजन चाइनीज खिलौनों के लिए नहीं बोलते हैं। मार्केट से चाइनीज खिलौने गायब हो रहे हैं। जयपुर का बाजार दिल्ली, कोलकाता और पुणे के खिलौनों से गुलजार है।
पिछले एक-दो वर्षों में भारतीय खिलौनों में तेजी से बदलाव आया है। गुणवत्ता में सुधार हुआ है और ये बजट में भी आ रहे हैं। यही वजह है कि चाइनीज खिलौने बाजार से गायब हो गए हैं।
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