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Dungarpur जिन फर्मों को दो कारणों का हवाला देकर कम दरों पर अस्वीकृत किया उनके दस्तावेज टेंडर फाइल में लगे

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डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर हमने पंचायत समिति से लेखा विभाग के नियमों की रिपोर्ट मांगी तो हमें बताया कि जांच करा रहे हैं। मैने बोला कि जांच कमेटी बनाने में समय न गंवाए और इसकी रिपोर्ट भेजे। इस तरह कार्यादेश कैसे दे सकते हैं। पूरा रिकार्ड मंगवाया जाएगा। -हनुमानसिंह चौहान, सीईओ, जिला परिषद,डूंगरपुर शिव शक्ति बोरवेल फर्म को टेंडर नहीं देने के जो दो बड़े कारण बताए,इनमें वर्ष 20 23-24 की ऑडिट रिपोर्ट नहीं होना और टर्न ओवर कम होना बताया। पंचायत समिति ने कम से कम 4 करोड़ 95 लाख का टर्नओवर होने की शर्त रखी थी और इस फर्म का टर्नओवर तीन करोड़ 66 लाख ही बताया। जबकि, इस फर्म के साथ संलग्न दस्तावेजों में ही 5 करोड़ 71 लाख का टर्नओवर बताया है। ऑडिट रिपोर्ट भी 30 सितंबर तक सरकार ने मान्य कर रखी है जबकि टेंडर 20 सितंबर को खुले थे। इस हिसाब से यह सही है। टेंडर में चार फर्म की कॉपियां थी। चार में से शिव शक्ति बोरवेल फर्म को कमियों की पूर्ति को लेकर एक पत्र भेजा और लिखा कि 20 सितंबर को 12 बजे तक आवश्यक दस्तावेज लेकर आ जाए।

फर्म संचालक 11.40 बजे दस्तावेज लेकर पहुंचे तो रथोत्सव के अवकाश के कारण कार्यालय के ताले लगे थे । संचालक ने लेखा शाखा के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने डूंगरपुर होना बताया। विकास अधिकारी को मोबाइल पर कॉल किया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। ढाई बजे तक कोई नहीं आया। दूसरी ओर अफसरों ने सागवाड़ा पंचायत समिति कार्यालय में बैठकर उसी दिन निविदा खोल दी । निविदा प्रक्रिया ऑनलाइन होने से उनके मोबाइल पर इसका अपडेट आ गया। यह देख फर्म संचालक ने तत्काल इस पूरे मामले की जानकारी कलेक्टर को दी। इसके बाद पंचायत समिति के अफसरों ने 26 सितंबर तक शिव शक्ति बोरवेल फर्म से दोबारा सभी दस्तावेज मंगवाकर जमा कर लिए। इससे लगा कि सब कुछ नियमों से होगा लेकिन एक अक्टूबर को पंचायत समिति ने अन्य फर्म को वर्क ऑर्डर जारी कर दिए। बाकी दो फर्मों में से एक को तकनीकी कारण और दूसरी की दर प्रति हैंडपंप सबसे ज्यादा 1 लाख एक हजार रुपए होने के कारण बाहर कर दिया गया। ^उस दिन कर्मचारी पंचायत समिति में ही थे। ऑफिस बंद होने के फोटो और वीडियो उस दिन शाम के होंगे।

हमने पूरी पारदर्शिता से वर्क ऑर्डर दिया है। - रितेश जैन, विकास अधिकारी, चिखली,डूंगरपुर दीपक शर्मा । डूंगरपुर चीखली पंचायत समिति में हैंडपंप लगाने की टेंडर प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। अफसरों ने अंबिका बोरवेल फर्म को वर्क ऑर्डर दे दिया जिसकी एक हैंडपंप खोदने की दर 96,602 रुपए थी। जबकि इससे कम दर 85,500 रुपए शिव शक्ति बोरवेल की थी। यह दर सरकार की ओर से निर्धारित 92,500 रुपए से 4.99 प्रतिशत कम थी। शिव शक्ति बोरवेल फर्म को जो कमियां बताकर टेंडर प्रक्रिया से बाहर किया गया। वह दोनों की कमियां फर्म की ओर से टेंडर दस्तावेजों में दी गई जानकारी के अनुसार सही नहीं है। शिकायत के बाद जिला परिषद ने पंचायत समिति से इसकी पत्रावलियां मांगी लेकिन पंचायत समिति के अधिकारियों ने सागवाड़ा पंचायत समिति में बैठकर टेंडर खोल दिए।

पंचायत समिति ने 21 अगस्त को हैंडपंप लगाने की निविदा निकाली। तीन साल के लिए निकली इस निविदा में 4 करोड़ 95 लाख की लागत से काम कराया जाना था। निविदा में नौ सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन और 10 सितंबर को अमानत राशि का डीडी जमा कराना था। इसके बाद टेंडर 11 सितंबर को खोलना था। अफसरों ने एक सप्ताह तक टेंडर की फाइल दबाए रखी और 17 सितंबर को टेंडर खोला।

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