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Pratapgarh वरात्रि में 30 साल पुरानी परंपरा, झांकियां देख भावुक हुए लोग

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प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, प्रतापगढ़ में नवरात्र के पांचवें दिन, सोमवार को श्रद्धालुओं ने मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की। मां स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है। मान्यता है कि मां स्कंदमाता अपने भक्तों की रक्षा पुत्रवत करती हैं। भगवान स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी और यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।शाम को शहर के विभिन्न गरबा पंडालों में महिलाओं और युवाओं ने एक से बढ़कर एक गरबा नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। इसी दौरान भटपुरा नवयुवक गरबा मंडल द्वारा पांडव और कौरव की झांकी का सचित्र वर्णन किया गया, जिसे देखने के लिए हजारों लोग पंडालों में पहुंचे।

द्रौपदी का चीर हरण: लाज बचाने पहुंचे भगवान कृष्ण

कौरवों द्वारा जुए में सब कुछ हारने के बाद द्रौपदी को दांव पर लगाने की कथा को भी झांकी के रूप में प्रस्तुत किया गया। चीर हरण के समय भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई, और इस प्रसंग का सजीव चित्रण किया गया। भटपुरा गरबा मंडल पिछले 30 वर्षों से नवरात्र के पंचमी से विजयदशमी तक विभिन्न धार्मिक झांकियों का मंचन कर रहा है, जिन्हें देखने प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं।

अंबिका राजेश्वरी मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान

शहर के अंबिका राजेश्वरी मंदिर में भी देर रात तक धार्मिक अनुष्ठान चले। सुबह माता का फलों के रस से अभिषेक किया गया, दोपहर में माता का आकर्षक श्रृंगार हुआ, और देर रात घट ज्योत प्रज्ज्वलित की गई। इन धार्मिक अनुष्ठानों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और इसका आनंद लिया।

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