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कथित जीएसटी घोटाले के आरोप में गुजरात पुलिस ने पत्रकार महेश लांगा को किया गिरफ़्तार

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Getty Images

अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा समेत चार लोगों को एक कथित जीएसटी घोटाले के आरोप में गिरफ़्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने ये जानकारी दी है.

अहमदाबाद के डिटेक्शन क्राइम ब्रांच के डीसीपी अजित राजियान ने बीबीसी गुजराती को बताया कि लांगा और तीन अन्य व्यापारियों को धोखाधड़ी वाले लेनदेन के ज़रिए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए फर्जी कंपनियां बनाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.

पुलिस का आरोप है कि इन लोगों ने शेल कंपनियां बनाईं ताकि जीएसटी डिपार्टमेंट को फ़र्जी बिल पेश करके इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकें.

बीबीसी ने महेश लांगा और उनके परिवार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला है.

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पुलिस ने कहा कि अहमदाबाद ज़ोन में जीएसटी के महानिदेशक हिमांशु जोशी की लिखित शिकायत के बाद ये कार्रवाई की गई है.

जोशी ने अपनी जांच में पाया था कि करीब 200 कंपनियां फर्जी दस्तावेज़ों और बिलों के ज़रिए इनपुट टेक्स क्रेडिट क्लेम कर रही हैं.

पुलिस को अपनी शिकायत में जोशी ने लिखा, ''ऐसा लगता है कि यह एक बड़ा ग्रुप है जो इस तरह की फर्जी बिलिंग, जाली दस्तावेजों और तथ्यों को दुर्भावनापूर्ण तरीके से दिखा कर देश को करोड़ों रुपये के राजस्व का वित्तीय नुकसान पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश रच रहा है.''

क्राइम ब्रांच ने कहा है कि उन्हें 200 शेल कंपनियों के फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने की शिकायत मिली थी.

इन फर्मों ने कथित तौर पर टैक्स बचाने के उद्देश्य से जाली पहचान और दस्तावेजों का इस्तेमाल किया.

इस शिकायत के आधार पर सोमवार को क्राइम ब्रांच ने 14 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की. इनमें महेश लांगा का वस्त्रपुर स्थित निवास भी था. पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने रेड के दौरान 20 लाख कैश, सोना और प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ दस्तावेज़ ज़ब्त किए हैं.

डीसीपी राजियान ने बताया, '' लांगा के घर से सोना मिला है और प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ दस्तावेज़ भी.''

महेश लांगा की पत्नी से भी पूछताछ image Getty Images

इनपुट टैक्स क्रेडिट एक कंपनी के जमा किए गए जीएसटी की राशि होती है. ये कंपनी के किसी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा सप्लाई की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर जीएसटी दायित्व की भरपाई करने में मदद करता है.

डीसीपी राजियान ने बताया, ''गिरफ़्तार लोगों की बनाई फर्जी कंपनियों ने वास्तविक वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के बिना ही, विभिन्न कंपनियों को नकली बिल दिए, जिन्हें उन कंपनियों में खर्च के रूप में दिखाया गया.''

राजियान ने बताया कि जीएसटी की शिकायत के बाद उन्होंने महेश लांगा की पत्नी कविता लांगा से पूछताछ की. कविता लांगा डीए एंटरप्राइज़ेज़ की मालिक हैं. डीए एंटरप्राइज़ेज़ उन्हीं कंपनियों में से एक है जिनका नाम एफ़आईआर में है.

पुलिस का कहना है कि कविता ने उन्हें बताया कि कंपनी भले ही उनके नाम से रजिस्टर्ड हो लेकिन वे उसके वित्तीय लेन-देन को नहीं देखती हैं.

राजियान के मुताबिक़ कविता ने पुलिस को बताया कि कंपनी का कामकाज उनके पति देखते हैं, जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया.

image EPA

कविता लांगा समेत बीबीसी ने लांगा परिवार से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने इस सारे मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 420 (बेईमानी), धारा 464 और 468 ( दस्तावेजों और पॉपर्टी मार्क्स से जुड़ी धोखाधड़ी), धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल) धारा 474 (फर्जी दस्तावेजों की प्रोसेसिंग और 120 बी (साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की है.

पुलिस ने कहा है कि वो इस केस से जुड़े और साक्ष्यों की तलाश कर रही है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

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