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खुशखबरी, यूपी के इन क्षेत्रों में बिछाई जाएगी नई रेलवे लाईन, 12 बनेंगे नए स्टेशन, ये किसान हो जाएंगे मालोमाल…

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Up Railway News: खुशखबरी, यूपी के इन क्षेत्रों में बिछाई जाएगी नई रेलवे लाईन, 12 बनेंगे नए स्टेशन, ये किसान हो जाएंगे मालोमाल

Up Railway News: लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई हैं।

जिस दौरान सोनभद्र जिले के सीमा पर पुणे विट्ठलगंज से होकर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर तक की रेल यात्रा अब और भी आसान हो जाऐगी। क्योंकि अब दो राज्य उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ रेलवे लाईन की सहायता से आपस में जुड़ने वाले हैं। वहीं अब छत्तीसगढ़ राज्य के अंबिकापुर से बिक्रमगंज तक रेलवे लाईन बिछाने की योजना तैयार हो रही हैं। उसी दौरान जयपुर की एक निजी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे लाईन की लम्ंबाई लगभग 150 किमी से भी कम हैं।

रेल मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला | Up Railway News

जानकारी के अनंसार, नये रेलवे खंड के अंर्तगत बारह रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाऐगा। जिस दौरान तीन से चार सुरंग मार्ग भी बनाऐं जाएंगे। क्योंकि इस नये रेलवे मार्ग पर कई महीनों से सर्वे किया जा रहा था। वहीं रेल मंत्रालय के निर्देश पर झारखंड के बरवाडीह रेलवे स्टेशन से अंबिकापुर तक की दूरी लगभग199.98 कि लोमीटर हंै। वहीं इस रेलवे मार्ग को 8758.37 करोड़ रुपये की लागत में तैयार किया जाऐगा। उसी बीच सर्वे रिपोर्ट में रेणुकूट से अंबिकापुर तक का सफर 152.30 किमी है। जिसे बनाने के लिए 8227.92 करोड़ रुपए लागत लगेगी। वहीं अब विंढमगंज से अंबिकापुर के सफर की दूरी व खर्चा दोनों ही मामलों में यह बरवाडीह और रेणुकूट से कम काफी हैं। इसीलिए रेल मंत्रालय द्वारा तीनों रेलवे स्टेशनों की रिपोर्ट को अच्छे से देखने के पश्चात तुरंत यह फैसला लिया।

कई दशकों बाद रेलवे लाइन को मंजूरी | Up Railway News

आपको बता दें कि पिछले कई दशकों से अंबिकापुर के लोगों द्वारा लगातार विंढमगंज सोनभद्र पूर्व मध्य रेलवे धनबाद मंडल के बरवाडीह व चोपन रेलवे मार्ग से अंबिकापुर रेलवे स्टेशन को जोड़ने की मांगे की जा रही थी। जिसके पश्चात रेल मंत्रालय द्वारा अंबिकापुर को धनबाद मंडल के बरवाडीह चोपन रेल खंड से जोड़ने के लिए बरवाडीह, विंढमगंज और रेणुकूट के साथ जोड़ने का बड़ा फैसला लिया हंै। वहीं विंढमगंज रेलवे स्टेशन की दूरी भी सबसे कम बताई जा रही हैं।

लोकसभा व राज्यसभा के सदस्यों ने दी सहमति

इस रेलवे मार्ग को बनाने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड,और उत्तर प्रदेश लोकसभा और राज्यसभा के कई सदस्यों द्वारा अंबिकापुर से रेणुकूट रेलवे मार्ग के लिए अपनी सहमति दी गई हैं। कु छ दिन पहले संसद मे सरगुजा के सांसद चिंतामणि महाराज द्वारा केंद्रीय रेल मंत्री से मिलने के पश्चात वातार्लाप किया। वहीं इस प्रस्ताव को लेकर छत्तीसगढ़ के कई सांसदों व पूर्व सांसदों द्वारा इस रेलवे लाईन के निर्णय का समर्थन किया हैं। जिस दौरान रांची के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ, उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल और मध्य प्रदेश के राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह सहित सभी ने अंबिकापुर से रेणुकूट रेलवे लाईन बनाने के लिए अपना समर्थन दिया।

दूरी होगी कम और आय होगी ज्यादा | Up Railway News

इस रेलवे मार्ग के दौरान विंढमगंज से अंबिकापुर रेलवे लाइन का प्रस्ताव अब पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत है। वहीं अंबिकापुर से रेणुकूट और बरवाडीह तक नई रेलवे लाइन और सर्वे का प्रस्ताव दक्षिण-पूर्व व मध्य रेल मार्ग को बिलासपुर के साथ जोड़ा गया है। उसी बीच नई रेल लाईन की दूरी अंबिकापुर से रेणुकूट तक मात्र 144 किमी हंै। इसके साथ ही बरवाडीह की दूरी199 किमी और विंढमगंज की दूरी लगभग181 किमी बताई जा रही हंै। जिस दौरान रेणुकूट की कम दूरी होने के कारण रेलवे की लागत भी काफी कम होगी। क्योंकि यह रेल मार्ग यात्रीयों और माल दोनों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर में बढ़ोतरी

आपको बता दें कि जो नई रेल लाइन बनने जा रही हैं। इसकी सहायता से अंबिकापुर से रेणुकूट को विकसित किया जाएगा। जिसके बाद अम्बिकापुर को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क के साथ सीधा सम्ंपर्क जोड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही दिल्ली से बनारस, प्रयागराज और अयोध्या तक का सफर भी काफी आसान हो जाएगा। वहीं रेणुकूट से देश भर के कई शहरों के लिए ट्रेनें चलती हैं. जिस दौरान इस नई रेलवे लाईन के जरीऐ छत्तीसगढ़ को शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, धार्मिक और रोजगार के लिए काफी अवसर भी मिलेगें।

अब कम समय तय होगा सफर

जानकारी के अनुसार अंबिकापुर से दिल्ली लगभग 1030 किमी दूर है और वहीं गढ़वा रोड 1157 किमी, बिंढमगंज 1111 किमी और बरवाडीह 1245 किमी हैं। वहीं अगर बात करें, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या और लखनऊ की दूरी की तो इन सभी की एक जैसी स्थिति हैं। उसी दौरान संसदीय क्षेत्र और संभाग को कम समय में राजधानी रायपुर और देश की राजधानी दिल्ली को जोड़ने के लिए भी एक रेलवे मार्ग तो आवश्य ही होनी चाहिए।

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