नई दिल्ली, 5 अक्टूबर . दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने शनिवार को फेज-4 में तुगलकाबाद-एयरोसिटी कॉरिडोर पर छतरपुर और छतरपुर मंदिर स्टेशन के बीच एक भूमिगत सुरंग के पूरा होने के साथ एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. डीएमआरसी के एमडी डॉ. विकास कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस कार्य को संपन्न कराया गया.
टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए छतरपुर मंदिर स्टेशन पर 860 मीटर लंबी सुरंग खोदने में शनिवार सुबह सफलता मिली. यह सुरंग 97 मीटर लंबी विशाल टीबीएम का उपयोग कर खोदी गई. एयरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर के हिस्से के रूप में इस खंड पर ऊपर और नीचे की आवाजाही के लिए दो समांतर गोल आकार के सुरंगों का निर्माण किया गया है. दूसरी समांतर सुरंग की खुदाई 21 अगस्त को पूरी हुई थी.
इस नई सुरंग का निर्माण लगभग 12 मीटर की औसत गहराई पर किया गया है. सुरंग में लगभग 613 रिंग लगाए गए हैं, जिनका आंतरिक व्यास 5.8 मीटर है. सुरंग निर्माण कार्य में कई चुनौतियां शामिल थीं, जैसे कि 66 केवी विद्युत एचटी लाइन को स्थानांतरित करना. इसके अतिरिक्त, टीबीएम को येलो लाइन पर मेट्रो ट्रेन संचालन को बाधित किए बिना मौजूदा येलो लाइन वायडक्ट के नीचे से गुजरना था.
सुरंग का निर्माण ईपीबीएम (अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड) की तकनीक का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्रीकास्ट टनल रिंग से बनी कंक्रीट लाइनिंग है. इन टनल रिंग को मुंडका में स्थापित पूरी तरह से मशीनीकृत कास्टिंग यार्ड में कास्ट किया गया था. कंक्रीट सेग्मेंट को जल्दी मजबूती प्राप्त करने के लिए स्टीम क्योरिंग सिस्टम से ठीक किया गया था.
मौजूदा वायडक्ट और निर्मित संरचनाओं के नीचे सुरंग के निर्माण के दौरान सभी आवश्यक सुरक्षा सावधानियां बरती गईं. आस-पास की संरचनाओं पर लगे अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों से ज़मीन की गतिविधियों पर नज़र रखी गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं भी कोई जमाव नहीं हो.
अब तक स्वीकृत चार चरण के कार्य के तहत, 40.109 किलोमीटर भूमिगत लाइनों का निर्माण किया जा रहा है. एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर में कुल 19.343 किलोमीटर भूमिगत खंड हैं.
गौरतलब है कि टीबीएम एक मशीन है, जिसका उपयोग मिट्टी और चट्टानी परतों के माध्यम से एक गोलाकार क्रॉस-सेक्शन वाली सुरंगों की खुदाई करने के लिए किया जाता है. उन्हें कठोर चट्टान से लेकर रेत तक किसी भी चीज को छेदने के लिए डिजाइन किया जा सकता है. टीबीएम ने दुनिया भर में सुरंग बनाने के काम में क्रांति ला दी है. इससे इमारतों और अन्य सतही संरचनाओं को नुकसान पहुंचाए बिना सुरंग खोदी जा सकती है. यह भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में भूमिगत सुरंग बनाने के काम के लिए विशेष रूप से उपयोगी है.
डीएमआरसी चरण एक से ही अपने सुरंग बनाने के काम के लिए टीबीएम का उपयोग कर रहा है. चरण तीन में, जब लगभग 50 किलोमीटर भूमिगत खंड बनाए गए थे, तब राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 30 टीबीएम तैनात किए गए थे.
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एससीएच/
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