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दिल्ली: 4 दिनों से घर से नहीं निकले... चार बेटियों के साथ हीरालाल ने क्यों की खुदकुशी? गुत्थी सुलझा रही पुलिस

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नई दिल्ली: रंगपुरी गांव में चार बेटियों के साथ पिता के खुदकुशी मामले में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। पुलिस का कहना है कि 24 सितंबर के बाद हीरालाल घर से बाहर नहीं निकले थे। घर के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक करने पर पता चला है कि हीरालाल 24 सितंबर की शाम मिठाई का डिब्बा लेकर बिल्डिंग में आते हुए दिखाई दिए। उसके बाद उन्हें बाहर जाते नहीं देखा गया। वहीं उनका फोन भी शाम साढ़े पांच बजे तक एक्टिव मिला है।हीरालाल के भाई मोहन शर्मा की पत्नी गुड़िया शर्मा ने बताया कि रंगपुरी में वह आठ साल पहले आए थे। रंगपुरी में वह बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर किराए पर रहते थे। वहीं हीरालाल के पड़ोस वाले कमरे में रहने वाली रिंकी ने बताया कि यह परिवार लोगों से कम बोलता था। कभी भी इस परिवार की वजह से किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई थी। रिंकी के अनुसार हीरालाल किसी से बात नहीं करते थे। उनकी पत्नी सुनीता अक्सर उनसे बात करती थीं। जब तक सुनीता थीं तो कमरे में आना-जाना भी था। पिछले साल उनकी कैंसर से मौत हो गई। उनकी मौत के बाद बच्चों ने भी बोलना छोड़ दिया था। छह महीने से परिजनों से बंद थी बातचीतरंगपुरी से कुछ दूरी पर बंगाली मार्केट में रहने वाले हीरालाल के भाई मोहन शर्मा की पत्नी गुड़िया ने बताया कि उन्हें अभी भी विश्वास नहीं हो पा रहा है कि पूरा परिवार खत्म हो गया है। गुड़िया के अनुसार चारों बेटियों ने ग्रैजुएशन किया हुआ था। इनमें नीरू साइंस की स्टूडेंट थीं। वहीं सबसे छोटी बेटी निधि भी पढ़ने में बहुत तेज थी। गुड़िया के अनुसार 2016 में पढ़ाई के दौरान नीरू को दिखना बंद हो गया। गुड़िया ने बताया कि छह महीने से उनकी हीरालाल के परिवार से कोई बात नहीं हुई। 10 से 15 दिन पहले उन्होंने हीरालाल को रंगपुरी में सब्जी लेते हुए देखा था। उन्होंने आवाज भी लगाई। लेकिन, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इन छह महीनों में बच्चों ने भी उनसे कोई बात नहीं की। उन्होंने कई बार बच्चों को कॉल किया, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया। गुड़िया ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद उन्होंने हीरालाल से बड़ी बेटी की शादी के लिए बात की थी, लेकिन बेटियों ने ही शादी करने से मना कर दिया था। उसके बाद उनकी कभी बात नहीं हुई। गुड़िया का कहना है कि चारों बेटियों में से सिर्फ एक ही बेटी दिव्यांग थी। बाकी सभी ठीक थीं। बच्चों की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी हीरालाल नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी कोई काम करें। नौ महीने से नहीं जा रहे थे काम परपुलिस के अनुसार हीरालाल पिछले 28 साल से वसंत कुंज के इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में कारपेंटर का काम करते थे। लेकिन, जनवरी से वह ड्यूटी पर नहीं जा रहे थे। पुलिस का कहना है कि फिलहाल पुलिस इस बात का पता करने की कोशिश कर रही है कि हीरालाल कहीं ओर तो काम नहीं कर रहे थे। घटना में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। हीरालाल ने किन हालत में इस तरह का कदम उठाया। पुलिस इसकी जांच कर रही है। किसी से बात नहीं करते थे हीरालाल- पड़ोसीपड़ोसी रत्न कुमार ने बताया कि वह इस बिल्डिंग में पिछले सात साल से रह रहे हैं। हीरालाल आसपास के लोगों से बात नहीं करते थे। पत्नी की मौत के बाद वह डिप्रेशन में आ गए थे। उनकी चारों बेटियां हमेशा कमरे में ही रहती थीं। न किसी से कोई बात और न ही किसी से मिलना-जुलना था। रतन कुमार के अनुसार हीरालाल की पत्नी की जब मौत हुई थी तो उनकी बेटियों को पहली बार उन्होंने देखा था।पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में गुड़िया, मकान मालिक और बिल्डिंग के केयरटेकर के साथ ही आसपास रहने वालों से पूछताछ की गई है। पुलिस ने हीरालाल के मोबाइल को कब्जे में ले लिया है। बच्चियों या हीरालाल ने कभी कोई परेशानी नहीं बताई: परिवारहीरालाल के भाई की पत्नी गुड़िया ने कहा कि वह सुबह से टीवी में देख रही हैं कि आस-पड़ोस के लोग बता रहे है कि हीरालाल बहुत परेशान थे। वह खुद खाना बनाते थे और बच्चों को खिलाकर काम पर जाते थे। पत्नी की मौत से वह डिप्रेशन में चले गए थे। इतना कुछ पड़ोसियों को पता था तो उन्होंने उन्हें कोई जानकारी क्यों नहीं दी। गुड़िया ने बताया कि हीरालाल की पत्नी की मौत के बाद भी वह कई बार बच्चों से मिलने उनके घर गई थीं। उन्हें न तो बच्चियों ने कभी कोई परेशानी बताई और न ही हीरालाल ने कभी कुछ बताया। उनके पति भी ठीक से चल नहीं पाते हैं। गुड़िया का कहना है कि वह हीरालाल के डिप्रेशन में होने की पड़ोसियों की बात को सही नहीं मानतीं।
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