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नंबर प्लेट और सर्विस सेंटरों से डेटा चुराकर कार की क्लोनिंग, ऑन लाइन बेचते थे, नोएडा से मेरठ तक जुड़े तार

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श्‍यामवीर चावड़ा, नोएडा: अगर आप भी कार मालिक हैं और चालान से जुड़े मैसेज को नजरअंदाज करते हैं, तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है। हो सकता है ठगों ने आपकी कार की क्लोनिंग करके उसके रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर को चोरी की कार में लगाकर उसे बेच दिया हो। मेरठ में रहने वाले मुकेश (बदला हुआ नाम) ने भी शुरू में ऐसी ही गलती की, लेकिन बाद में जब इस पर पड़ताल की तो असलियत जानकर चौंक गए। उनकी कार की क्लोनिंग करके चोरी की एक कार बेच दी गई थी। हालांकि अपनी सतर्कता की वजह से वह बड़ी मुसीबत में फंसने से बच गए, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।दरअसल, इस केस की जांच के बाद पुलिस ने ऐसा करने वाले चार आरोपियों को पकड़ा। उनसे पूछताछ में जो जानकारी मिली है, वह और चौंकाने वाली है। फिलहाल पुलिस इस पूरे नेटवर्क के बारे में जांच कर रही है। इसके लिए दिल्ली की जेल में बंद वाहन चोर गिरोह से भी पूछताछ करने की तैयारी है। उसके बाद इसकी पूरी चेन का खुलासा हो सकेगा। अब तक की पूछताछ में पता चला है कि ये लोग आठ क्लोन कारों को इसी तर्ज पर बेच चुके हैं। अब तक सात ही बरामद हुई हैं। यानि एक क्लोन कार अभी भी सड़कों पर दौड़ रही है। उसकी भी पुलिस तलाश कर रही है। यहां समझिए पूरा खेलनोएडा सेक्टर-63 की पुलिस की गिरफ्त में आए चारों आरोपियों ने बताया कि ये लोग जिस गिरोह से जुड़े हैं, वह दो ग्रुप में काम करता है। एक ग्रुप कार चोरी करता है, तो दूसरा इसे ऑनलाइन बेचने का काम करता है। पकड़े गए चारों आरोपी दूसरे ग्रुप में थे और कार बिकवाते थे। पहला ग्रुप कार चोरी करके इन्हें मॉडल बताता था। इसके बाद ये चारों समान मॉडल और कलर वाली कार खोजते थे। जब इसमें सफल होते तो उस कार का नंबर, चेसिस नंबर यूज करके उसकी क्लोनिंग करते थे। यानी आसान शब्दों में कहें तो चोरी की कार में ये लोग असली कार की डिटेल डालते थे। इस प्रक्रिया के दौरान चारों खुद को मालिक बताते थे और कार को ऑनलाइन कार सेल-पर्चेज करने वाली वेबसाइट पर लिस्ट करके बेच देते थे। इस फर्जीवाड़े में इनकी मदद उस शॉपिंग साइट का कर्मचारी कुंदन गिरी करता था। वही इन लोगों की कार का सर्वे करने आता था। वह बहुत ज्यादा पड़ताल किए बिना ही कार की अच्छी कीमत तय करके उसे लिस्ट करवा देता था। इसके बाद कार बिक जाती थी। कुछ डॉक्युमेंट्स पेंडिंग रहने के कारण थोड़ी पेमेंट होल्ड कर ली जाती थी। बाकी की रकम फरीदाबाद के कुलदीप के अकाउंट में आ जाती थी। फिलहाल कुंदन दिल्ली की एक जेल में बंद है। ऐसे बंटता था पैसापुलिस ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में चोरी की कारें कुंदन के माध्यम से कुलदीप तक आती थीं। कुलदीप के माध्यम से ही कारें बेची जाती थीं। बेचने से मिली रकम का बड़ा हिस्सा चोरों के गिरोह को दिया जाता था। दूसरा बड़ा हिस्सा बिकवाने की चेन में शामिल कुलदीप यादव को मिलता था। कुलदीप अपने तीन साथी अभिषेक, संकेत, अमन को पांच-पांच हजार रुपये कमीशन देकर बाकी की रकम कुंदन को भेज देता था। ये रकम गैंग के सरगना तक जाती और आपस में बांट लिए जाते थे। इस तरह आपकी जानकारी चुराकर होती है क्लोनिंगकार क्लोनिंग में आपकी कार की पहचान की नकल की जाती है। ये एक अपराध है। इसमें चोरी की कार के समान मॉडल और रंग की कार तलाशी जाती है। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर, चेसिस नंबर और इंजन नंबर हासिल कर लिया जाता था। रजिस्ट्रेशन नंबर तो आपकी कार की नंबर प्लेट पर होता ही है, इसके जरिए इंजन और चेसिस नंबर हासिल कर लिया जाता है। पुलिस को संकेत मिले हैं कि इस काम को आरटीओ ऑफिस, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सर्विस सेंटरों से मिलकर किया जा रहा है। ठग यहीं से ऐसी डिटेल निकालते हैं। दिल्ली और मेरठ में खुदवाते थे इंजन-चेसिस नंबरपुलिस की जांच में पता चला है कि चोरों का गिरोह चोरी की कारों को दिल्ली और मेरठ में कुछ कार सर्विस सेंटर पर ले जाते थे। यहां उस पर दर्ज असल चेसिस नंबर को खुदवाकर उसे मिटवाते थे। इसके बाद उस जैसी दूसरी कार की डिटेल उसमें दर्ज करवाते थे। दरअसल, कार में जो चेसिस नंबर दर्ज होती है वह उसमें खुदी होती है, इसे आसानी से मिटाया नहीं जा सकता है, लेकिन कार ठीक करने वाले इसे पिघला कर भर देते हैं और उस पर नए नंबर को मशीनों की मदद से डाल देते हैं। इसलिए क्लोनिंग पर ध्यान देना है बहुत जरूरीबेशक आप मुकेश की तरह कोई ऐसा मैसेज देखकर इग्नोर कर देते होंगे। आप सोचते होंगे कि कार तो आपके पास ही है, लेकिन ऐसा नहीं है। आपकी यह लापरवाही आप पर बहुत भारी पड़ सकती है। बता दें कि अगर क्लोन हुई कार से कोई अपराध होता है तो पुलिस आप तक पहुंचेगी। तब आपको खुद साबित करना पड़ेगा कि आप उस अपराध में शामिल नहीं हैं। इसके लिए सबूत देने पड़ेंगे। इसके अलावा आपके नाम से नो पार्किंग या ओवर स्पीड जैसे चालान भी बढ़ते जाएंगे। क्या करें
  • अगर आपके पास कार के चालान या जुर्माने से जुड़ी ऐसी कोई अन्य जानकारी या नोटिस मिले तो फौरन अलर्ट हों। यह क्लोनिंग हो सकती है। इसी तरह सर्विस सेंटर पर पता चले कि आपकी कार की सर्विस तो पहले ही हो चुकी है तो भी हो सकता है कि उसकी क्लोनिंग हुई हो।
  • क्लोनिंग का शक होने पर अलर्ट हो जाएं और पुलिस में शिकायत करें। इससे संबंधित सबूत जुटाएं। आप चाहें तो आसपास के सीसीटीवी फुटेज को देख सकते हैं।
  • चालान के दौरान आजकल कार की फोटो भी आती है। इसमें कार में कोई स्क्रैच, पेंट, व्हील आदि के जरिए पहचान करने का प्रयास कर सकते हैं।
ये न करें
  • अगर आप अपनी कार को बिक्री के लिए ऑनलाइन साइट पर डाल रहे हैं तो उसकी नंबर प्लेट को छुपा दें। सोशल मीडिया पर लोग अपनी कारों की फोटो डालते हैं, इससे बचें और डाल रहे हैं तो उसकी नंबर प्लेट को हाइड करें।
  • यदि ऑनलाइन कार खरीद रहे हैं, तो पहले कंपनी से पूरा पेपर मांगे। इसके बाद ही पेमेंट करें।
  • क्लोन कार खरीदना भी आपको मुसीबत में डाल सकता है। ऐसे वाहन को पुलिस वाहन को जब्त कर लेगी। साथ ही पूछताछ और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए कार की हिस्ट्री चेक करानी होगी। ये संबंधित कार कंपनी के सर्विस सेंटर से पता चल जाएगा।
  • वहीं अगर मार्केट रेट से कोई कार बेहद कम दामों पर मिल रही है तो अलर्ट रहने की जरूरत है। ये चोरी की भी हो सकती है।
ऐसे सामने आया मामलाशनिवार को नोएडा सेक्टर 63 थाने की पुलिस ने चार छात्रों कुलदीप यादव, अभिषेक, संकेत और अमन को गिरफ्तार किया था। ये फरीदाबाद के थे। इन्होंने चोरी की क्लोन हुई कारों को ऑनलाइन बेचा था।
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