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अमेरिका में 50 साल में सबसे बड़ी हड़ताल से चीन-पाकिस्तान परेशान, जानिए क्या है वजह

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नई दिल्ली: अमेरिका में 50,000 से अधिक पोर्ट वर्कर्स हड़ताल पर हैं। देश में 1977 के बाद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में वर्कर्स हड़ताल पर हैं। ये पोर्ट्स अमेरिका के कुल आयात का करीब 40 फीसदी हैंडल करते हैं और इस हड़ताल से अमेरिका को रोजाना 5 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन नाकाम होने के कारण पोर्ट वर्कर्स हड़ताल पर हैं। जून में पोर्ट वर्कर्स की संस्था आईएलए ने यूनाइटेड स्टेट्स मैरिटाइम अलायंस के साथ बातचीत सस्पेंड कर दी थी। 30 सितंबर को कॉन्ट्रैक्ट बिना किसी डील के खत्म हो चुका है। अगर यह हड़ताल एक महीने तक चलती है तो इससे अमेरिका को 130 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट में यूनियन मेंबर्स को हर घंटे 20 से 37 डॉलर तक मेहनताना मिलता है। वे अगले छह साल के दौरान इसमें 32 फीसदी इजाफा चाहते हैं। अभी अमेरिका में करीब 38 फीसदी आयात ईस्ट और गल्फ कोस्ट पोर्ट्स से होता है। जेपी मोर्गन के मुताबिक इस हड़ताल से अमेरिका की इकॉनमी को रोजाना 3.8 अरब डॉलर से 4.5 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। खासकर कृषि उत्पादों के आयात के लिए ये पोर्ट बहुत अहम हैं। पिछले साल इनके जरिए 26.7 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का आयात हुआ था। इसी तरह 19.5 लाख टन पोल्ट्री इन पोर्ट्स के जरिए आई थी। चीन-पाकिस्तान की परेशानीअगर यह हड़ताल लंबी चलती है तो इससे एक बार फिर खाद्य महंगाई बढ़ सकती है। इन पोर्ट्स के जरिए सामान मंगाने वाली कंपनियों में वॉलमार्ट, आइकिया, होम डिपो, डॉलर जनरल और ऐमजॉन शामिल हैं। साथ ही एक्सपोर्ट मार्केट भी काफी हद तक इन पोर्ट्स पर निर्भर है। इन पोर्ट्स से चीन को 19.1 लाख टन सामान का एक्सपोर्ट होता है। इसी तरह इंडोनेशिया को 13 लाख टन, वियतनाम को 10.8 लाख टन, प्यूर्टो रिको को 9.8 लाख टन, ताइवान को 8.3 लाख टन, तुर्की को 4.7 लाख टन और पाकिस्तान को 3.1 लाख टन सामान का एक्सपोर्ट किया जाता है। यह अमेरिका से पाकिस्तान को जलमार्ग से किए जाने वाले एक्सपोर्ट का 81 फीसदी है।हर साल इन पोर्ट्स से 38 लाख मीट्रिक टन केले का आयात होता है जो कुल इम्पोर्ट का 75 फीसदी है। इसी तरह 90 फीसदी चेरी, 85 फीसदी डिब्बाबंद फूड, 82 फीसदी हॉट पेपर्स और 80 फीसदी चॉकलेट इन्हीं पोर्ट्स से आता है। यानी इस हड़ताल से आम लोगों की जेब पर भी पड़ सकता है। यह हाल के वर्षों में अमेरिका में सबसे बड़ी हड़तालों में से एक है। चीन और पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों पर इसका असर हो सकता है।
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