ग्वालियर: शहर के एक युवा ने रिश्तों की मिसाल पेश की है। मुदित सोलापुरकर ने अपने पिता को लिवर का एक हिस्सा डोनेट करके उनकी जान बचाई है। मुदित के इस नेक काम की हर तरफ तारीफ हो रही है। उसके पिता लंबे समय से लीवर की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बीमारी के चलते डॉक्टरों ने तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। परिवार के सभी सदस्यों के टेस्ट हुए, लेकिन सिर्फ मुदित ही डोनर बनने के लिए योग्य पाया गए। 20 साल के मुदित ने बिना झिझक अपने पिता को नया जीवन देने का फैसला किया। ऑपरेशन सफल रहा और मधु सोलापुरकर अब स्वस्थ हो रहे हैं। मुदित ने बताई फैसले के पीछे की वजहयह घटना रिश्तों की अहमियत को एक नया आयाम देती है। आज के समय में जहां रिश्तों में दरारें आम बात हो गई हैं, वहीं मुदित का यह कदम एक मिसाल है। मुदित ने बताया कि उनके इस फैसले के पीछे उनके माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कार और जॉय ऑफ गिविंग की भावना है। पिता बोले- मिला नया जीवनमुदित के पिता मधु सोलापुरकर ग्वालियर जनसंपर्क विभाग में उपनिदेशक हैं। वे इस निर्णय को लेकर कहते हैं कि उनके बेटे ने उन्हें नया जीवनदान दिया है। एक पिता अपने बच्चे को जन्म देता है, उसे पालता-पोषता है, लेकिन मुदित ने तो उन्हें दूसरा जन्म ही दे दिया। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। ऑर्गन डोनेशन के बारे में ज्यादा नहीं सोचा- मुदितमुदित का कहना है कि उनके लिए उनके पिता से बढ़कर कुछ नहीं है। पिता ही जीवन का आधार होते हैं, उनका साया सिर पर होना ज़रूरी है। ऑर्गन डोनेशन के बारे में उन्हें ज़्यादा सोचने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा दूसरों की मदद करना सिखाया है। वे स्कूल में 'बाल आनंदक' वालंटियर ग्रुप का हिस्सा भी रहे हैं। यहां उन्होंने निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद की है।
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