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ऑस्ट्रेलिया से भी छोटे इस बौने ग्रह के चंद्रमा पर मौजूद है कार्बन डाइऑक्साइड; उठ सकता है चारोन के इतिहास से पर्दा

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Pluto Planet: हमारे सौरमंडल मंडल के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक बौने ग्रह के पांच चंद्रमाओं में से एक में वैज्ञानिकों को कार्बन डाइऑक्साइड की मौजूदगी का पता चला है। दरअसल, यह कोई और बौना ग्रह नहीं, बल्कि प्लूटो ग्रह है, जो कभी हमारे सौरमंडल का हिस्सा हुआ करता था।

साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्लूटो के पांच चंद्रमाओं (स्टाइक्स, निक्स, केर्बेरोस, हाइड्रा और चारोन) में चारोन सबसे बड़ा है, जो अपने मूल ग्रह के साथ एक बाइनरी सिस्टम में मौजूद हैं, जिसका मतलब है कि वे दोनों अंतरिक्ष में दोनों के बीच एक बिंदु की परिक्रमा करते हैं।


यूं तो प्लूटो और उसके चंद्रमाओं के अभी भी बहुत से रहस्यों से पर्दा उठाना बाकी है, लेकिन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित नए शोध में USA के साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूड की खगोलविद सिल्विया प्रोटोपाया की टीम ने बताया कि उन्हें चारोन की सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन पेरोक्साइड मिला है।

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चारोन क्या है?

साल 1978 को जब वैज्ञानिक प्लूटो की कक्षा का अध्ययन कर रहे थे उस वक्त उन्हें चारोन की जानकारी मिली थी। इसकी चौड़ाई 1200 किमी से थोड़ी ज्यादा है या यूं कहें आकार में प्लूटो का लगभग आधा है। चारोन और प्लूटो की कक्षा असामान्य है। चारोन जहां प्लूटो की परिक्रमा करता है, जबकि प्लूटो एक केंद्रीय बिंदु के चारों ओर घूमता है।



नासा के न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान ने प्लूटो और उसके चंद्रमाओं को करीब से देखा जिससे हमें यह पता चला कि चारोन कई तरह के रसायनों से मिलकर बना है और यह बेहद ठंडा चंद्रमा है। साथ ही माना जाता है कि चारोन में क्रायोवोलकैनो भी मौजूद हैं। दरअसल, यह ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां ज्वालामुखीय मैग्मा के बजाय बर्फ निकलती है।

कहां मौजूद है CO2?

बकौल रिपोर्ट, कार्बन डाइऑक्साइड को समझना हमेशा से काफी अहम होता है, क्योंकि इसकी मदद से उसके इतिहास के बारे में काफी कुछ पता चल सकता है। ऐसा माना जाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड चारोन की बर्फीली सतह के नीचे से आती है और एस्टेरॉयड या अन्य आसमानी वस्तुओं के चंद्रमा से टकराने की वजह से निकलती है, जिससे गड्ढे बनते हैं।

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कहां स्थित है प्लूटो?

नेप्च्यून से परे हमारे सौरमंडल के सुदूर क्षेत्र में प्लूटो स्थित है जिसे कुइपर बेल्ट के नाम से जाना जाता है। बता दें कि प्लूटो लंबे समय तक हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 2006 में प्लूटो को ग्रहों की सूची से हटाकर बौने ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया।

कब हुई थी प्लूटो की खोज?
इस ग्रह की खोज साल 1930 में खगोलविद क्लाइड टॉमबॉ ने की थी। प्लूटो का नाम इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड की 11 वर्षीय वेनेटिया बर्नी ने रखा था। प्लूटो आकार में ऑस्ट्रेलिया से भी छोटा है और जहां का तापमान -232 डिग्री सेल्सियस है।
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